एआईसीटीई की नई पहल: ब्रेल और डिजिटल प्रारूप में इंजीनियरिंग और प्रबंधन पुस्तकें

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एआईसीटीई की नई पहल: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने तकनीकी कॉलेजों को दृष्टिबाधित छात्रों के लिए भारतीय भाषाओं में ब्रेल, ऑडियो और डिजिटल पाठ्यपुस्तकें मुफ्त उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

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एआईसीटीई की पहल: विशेष छात्रों के लिए ब्रेल और डिजिटल पुस्तकें

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने तकनीकी कॉलेजों को दृष्टिबाधित छात्रों के लिए अपने पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में ब्रेल, डिजिटल, ऑडियो और बड़े प्रिंट प्रारूप में किताबें तैयार करने का निर्देश दिया है।

इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों के स्पेशल स्टूडेंट्स को अब पढ़ाई में दिक्कत नहीं होगी। एआईसीटीई ने तकनीकी कॉलेजों को दृष्टिबाधित छात्रों को ब्रेल, ऑडियो और डिजिटल प्रारूप में किताबें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। तकनीकी कॉलेजों को भी अपने अनुपालन की रिपोर्ट एआईसीटीई को देनी होगी।

एआईसीटीई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, तकनीकी कॉलेजों में दृष्टिबाधित छात्रों को अपने साथियों के समान पाठ्यक्रम सामग्री मिलनी चाहिए। इसलिए, सभी तकनीकी कॉलेजों से दृष्टिबाधित छात्रों के लिए किताबें उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।

पाठ्यक्रम के तहत, तकनीकी कॉलेज ब्रेल, ऑडियो, बड़े प्रिंट या अन्य प्रारूपों में पहले से उपलब्ध किसी भी पाठ्यक्रम सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। उन्हें ऐसी पाठ्य सामग्री एकत्रित कर विद्यार्थियों को उपलब्ध करानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, शिक्षकों को विशेष छात्रों को उनकी पढ़ाई में मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

भारतीय भाषाओं में पुस्तकें

एआईसीटीई अपने तकनीकी कॉलेजों में अन्य छात्रों को प्रदान की जाने वाली पुस्तकों के समान, दृष्टिबाधित छात्रों को भारतीय भाषाओं में किताबें प्रदान करने की योजना बना रहा है। इस पहल का उद्देश्य तकनीकी कॉलेजों में सभी छात्रों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करना है। नेत्रहीन छात्रों के लिए इंजीनियरिंग की किताबें सबसे पहले भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगी।

पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध होंगी

एआईसीटीई ने तकनीकी कॉलेजों को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि दृष्टिबाधित छात्रों को किताबें मुफ्त उपलब्ध कराई जाएंगी। यदि तकनीकी कॉलेज पाठ्यक्रम के आधार पर ब्रेल, ऑडियो या डिजिटल प्रारूप में किताबें तैयार करवाते हैं, तो उन्हें प्रकाशक से उन्हें निःशुल्क छापने का अनुरोध करना चाहिए ताकि शिक्षकों और ऐसे विशेष छात्रों को सबसे अधिक लाभ हो सके।

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